
- दूसरे देशों की तुलना में भारत में कोरोना के कम मामले होने के पीछे क्या बीसीजी का टीका जिम्मेदार है। भले ही इसका कोई और कारण हो लेकिन अमेरिकी शोधकर्ता मान रहे हैं कि इसके पीछे बीसीजी टीके की अहम भूमिका है। अगर यह बात सिद्ध हो जाती है तो यह टीका कोरोना से लड़ाई में गेम चेंजर साबित हो सकता है। कोरोना का प्रकोप फैलने पर अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों को आशंका थी कि विशाल आबादी वाले भारत में बड़े पैमाने पर मौतें होंगी। लेकिन अभी तक जो पैटर्न है इससे उनकी आशंका गलत साबित हो गई है।
बीसीजी हो सकता है कारगर
- अमेरिकी वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत में नवजात बच्चों को बैसिलस कैलमेट गुयरिन (बीसीजी) टीका देने की जो परंपरा है उसके कारण कोरोना का इतना प्रभाव नहीं हो रहा है। जबकि इटली, नीदरलैंड्स और अमेरिका जहां बच्चों को यह टीका नहीं दिया जाता वहां संक्रमितों व मरने वालों की संख्या बेतहाशा बढ़ती जा रही है। न्यूयार्क इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी बायोकेमिकल साइंसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर गोंजालो ओताजू ने कहा कि इस संबंध में किये गये अध्ययन में हमने पाया कि कोविड-19 से निपटने में बीसीजी कारगर हो सकता है। इस अध्ययन की रिपोर्ट अभी प्रकाशित होनी है।

1948 में शुरू हुआ था टीके का चलन
- अध्ययन के मुताबिक बीसीजी भारत के राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मवेशियों में टीबी रोग के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया माइकोबक्टीरियम बोविस के कमजोर स्वरूप से तैयार किया जाता है। यह मनुष्यों में टीबी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया से भिन्न होता है। भारत में बीसीजी टीके का चलन 1948 में शुरू हुआ था। तब भारत में टीबी (ट्यूबर कोलोसिस) के मामले दुनिया में सबसे ज्यादा होते थे। इस संबंध में भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि हम लोग इस बात से आशांवित हैं लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।
सार्स में प्रभावी साबित हुई बीसीजी वैक्सीन
- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब के एप्लाइड मेडिकल साइंसेज फैकल्टी की सीनियर डीन मोनिका गुलाटी ने बताया कि ऐसे मौकों पर छोटी सी बात भी उम्मीद बंधाती है। खास बात यह है कि सार्स के संक्रमण में बीसीजी वैक्सीन प्रभावी साबित हुई है। सार्स का वायरस भी मूलत: कोरोना परिवार का वायरस है। अमेरिका में कोरोना के अब तकक़रीब ३ लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं जबकि 4000 से अधिक की मौत हो चुकी है। जबकि इटली में105,000 सामने आये हैं और 12 हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। इसी तरह नीदरलैंड्स में 12,000 से अधिक मामले आने के साथ एक हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं।

बीसीजी के टीके की खोज –
- बीसीजी वैक्सीन को माईकोबैक्टीरियम बोविस के सबसे कमजोर बैक्टीरिया से तैयार किया जाता है। यह बैक्टीरिया टीबी के मुख्य कारण माने जाने वाले बैक्टीरिया एम. ट्यूबरकुलोसिस से संबंधित होता है। यह दवा 13 सालों (1908 से 1921 तक) में तैयार की गई थी। इसको फ्रांस के बैक्टीरियोलोजिस्ट एडबर्ट कैलमिटी व कैमिली ग्युरिन ने तैयार किया था। इन दोनों ही बैक्टीरियोलोजिस्ट के नाम के कारण इस वैक्सीन को बेसिल कालमेट ग्युरिन (Bacillus calmette-guerin) नाम दिया गया। यह टीका टीबी के उच्च जोखिम वाले शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद दिया जाता है। बीसीजी वैक्सीन टीबी से बचाव के लिए शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को तैयार करती है।
