
एक अर्थव्यव्स्था में असंगठित क्षेत्र ऐसे क्षेत्र को कहा जाता है “जिसमें प्रत्येक आर्थिक क्रियाकलाप( उत्पादन,विपणन और विक्रय) में 10 से कम श्रमिक कार्य करते है और जो सामान्यतः निजी व्यक्ति या व्यक्ति के समूह के द्वारा संचालित होते है।”
आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार भारत के कुल वर्क फ़ोर्स का 93% हिस्सा असंगठित क्षेत्र का है। देश में लगभग 45 करोड़ कार्य बल है जिसमें से 41.5 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है।
नीति आयोग(2018) के अनुसार वर्क फ़ोर्स लगभग 85% हिस्सा असंगठित क्षेत्र से है।
यानी ये ऐसे लोग है जो ऐसे क्षेत्र में कार्यरत है जहां ना वेतन की सुरक्षा है और ना ही किसी प्रकार की भविष्य निधि का प्रावधान।

एक अनुमान के अनुसार असंगठित क्षेत्र में कार्यरत एक मज़दूर सामान्यतः महीने के चार से पाँच हज़ार रुपये कमाता है और यह भी तब जब वह किसी नगर अथवा क़स्बे में कार्य करे।असंगठित क्षेत्र में कार्यरत लोगों की निम्नलिखित समस्याएँ होती है-
1. रोज़गार की अनिश्चिता- यह सबसे बड़ी समस्या है जब भी कारोबार प्रभावित होता है ऐसे लोगों को हटा दिया जाता है बिना किसी नोटिस के
2. पेंशन अथवा भविष्य निधि के सम्बंध में कोई विशेष व्यवस्था नही ।हालाँकि अटल पेंशन योजना के माध्यम से समाधान का प्रयास किया गया लेकिन यह व्यावहारिक रूप में सफल नही रहा क्योंकि लोगों में जागरूकता का अभाव है।
3. कार्यस्थल पर बड़ी चोट की स्थिति में भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
4. बच्चों को उचित शिक्षा नही मिल पाती और ना ही परिवार को अच्छा आहार मिल पाता है।
5. नगरों अथवा क़स्बों में झुग्गियों में ऐसे श्रमिक निवास करते है , जँहा का माहोल एवम् सुविधाएँ अच्छा जीवन स्तर के लायक़ नही होती।

क़ोरोना का प्रभाव—-
क़ोरोना महामारी का सबसे बुरा प्रभाव इसी क्षेत्र पर पड़ा है।
क़ोरोना के कारण देश में एतिहासिक लॉक डाउन करना पड़ा। एसी स्थिति में इस क्षेत्र में कार्यरत लोग बड़ी संख्या में बेरोज़गार हो गए , हालाँकि सरकार ने कहा है कि इनका वेतन ना काटा जाए पर यह सर्वविदित है कि उन्हें वेतन नही मिलने वाला।
इस महामारी ने असंगठित क्षेत्र में दो बड़ी समस्याओं को जन्म दिया-
1.भूख– यह एक विकराल समस्या है। इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों के पास अधिक संसाधन नही होते एसी स्थिति में ये लोग अधिक समय तक अपनी ज़रूरतें पुरी नही कर सकते।

2.पलायन- यह एक गम्भीर समस्या है जिसका समाधान अगले एक दो दिन में ही करना होगा। लॉक डाउन की घोषणा के कुछ दिन बाद ही बड़ी संख्या में लोगों ने अपने गृह राज्य की ओर पलायन आरम्भ कर दिया । दिल्ली, मुंबई, मैसूर, हैदराबाद आदि नगरों का घटनाक्रम इसका उदाहरण है। उत्तरप्रदेश के लगभग 40 लाख, बिहार के लगभग 36 लाख, राजस्थान के लगभग 18 लाख लोग अन्य राज्यों में कार्यरत है। ये लोग कुछ मात्रा में पलायन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से करेंगे ही।

सरकारें क्या करें-
1. सबसे पहले केंद्र सरकार राज्यों के लिए इस सम्बंध में दिशा निर्देश जारी करे ताकि एकीकृत व्यवस्था की जा सके
2. राज्य सरकारें तत्काल प्रभाव से एसे श्रमिकोंके लिए भोजन ,पानी व अस्थाई निवास की व्यवस्था करें केवल दावों से काम नही चलने वाला।
3.श्रमिक जिन राज्यों की ओर पलायन कर रहे है उन राज्यों की सरकारों को राज्य की सीमा पर अस्थाई कैम्प विकसित करें ताकि लॉक डाउन का उद्देश्य प्रभावित ना हो।
4. पलायन करने वाले लोगों को जागरुक किया जाए, वे अफ़वाहों पर ध्यान न दे। लोगों को समझाया जाए कि एसा करने से उनके साथ साथ उनके परिवार का जीवन भी ख़तरे में आ सकता है। इसके बाद भी लोग नही मानते है तो उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही हो।
बाक़ी रही बात आर्थिक उपाय की तो वह वित्त मंत्रालय( भारत सरकार) पहले ही कार्य कर रहा है।
One reply on “Corona,Unorganised Sector And The Government/ कोरोना, असंगठित क्षेत्र और सरकार।”
अच्छी जानकारी है। इस से पहले मुझे नही पता था की अपने यहाँ unorganised सेक्टर इतना बड़ा है।
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